Friday 12 December 2014

Angoor





अंगूर एक फल है ,विभिन्न भाषाओं में इसके नाम :
संस्कृत द्राक्षा, अंगूरद्राक्ष,ग्रेप्स
       अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है।  सामान्य परिचय : अंगूर एक आयु बढ़ाने वाला प्रसिद्ध फल है।  यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऎसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। फलों में यहसर्वोत्तम एवं निर्दोष फल है, क्योंकि यह सभी प्रकार की प्रकृति के मनुष्यके लिए अनुकूल है। निरोगी के लिए यह उत्तम पौष्टिक खाद्य है तो रोगी के लिएबलवर्धक भोजन।
           रंग और आकार तथा स्वाद भिन्नता से अंगूरकी कई किस्में होती हैं। काले अंगूर, बैगनी रंग के अंगूर, लम्बे अंगूर, छोटे अंगूर, बीज रहित अंगूर को सुखाकर किशमिश बनाई जाती है। जिन बड़े-बड़े भयंकर और जटिल रोगोंमें किसी प्रकार का कोई पदार्थ जब खाने-पीने को नहीं को दिया जाता तब ऐसीदशा में अंगूर दी जाती है। भोजन के रूप में अंगूर कैन्सर, क्षय (टी.बी.)पायोरिया, ऐपेण्डीसाटिस, बच्चों का सूखा रोग, सन्धिवात, फिट्स, रक्त विकार, आमाशय में घाव, गांठे, उपदंश (सिफलिस), बार-बार मूत्रत्याग, दुर्बलता आदिमें दिया जाता है। अंगूर अकेला खाने पर लाभ करता है, किसी अन्य वस्तु केसाथ मिलाकर इसे नहीं खाना चाहिए।

      
पके अंगूर दस्तावर, शीतल, आंखों के लिए हितकारी, पुष्टिकारक, पाक या रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाला, कसैला, मल तथा मूत्र कोनिकालने वाला, वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), पौष्टिक, कफकारक औररुचिकारक है। यह प्यास, बुखार, श्वास (दमा), कास (खांसी), वात, वातरक्त (रक्तदोष), कामला (पीलिया), मूत्रकृच्छ्र (पेशाब करने में कठिनाई होना), रक्तपित्त (खूनी पित्त), मोह, दाह (जलन), सूजन तथा डायबिटीज को नष्ट करनेवाला है।
       
अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है। ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिएं।


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