Saturday 27 December 2014

Roti by Tarla Dalal

 


very easy way to make roty for New Gen. especially Vegetarians.

Thursday 25 December 2014

Christmas celebration at Love temple



Christmas celebration at Love temple.  Love temple celebrates Christmas every year. People of Rajkot Enjoys with harmony and joyfully,  
          25 December 2014 :: राजकोट शहर में नाताल पर्व को धूमधाम से मनाया गया. हर साल की तरहा कालावाड रोड पर आये लव टेम्पल में रंगारंग कार्यक्रम हुवा. काफी बड़ी तादात में लोग भगवान ईशु के दर्शन के लिए आए.   




Sunday 21 December 2014

Adventure of Amarnath Yatra

Vegetarianism, शाकाहार

                 


शाकाहार

             हमारे आसपास की दुनियामे हमारे आहार को दो प्रकार से जाना जाता है। एक होता है शाकाहार और दुसरा होता है। मांसाहार, आज हम शाकाहार के बारेमे जानेगे। दुध और दुग्ध के उत्पाद , फल, सब्जीया, अनाज, और बीज आदि, सहित वनस्पति-आधारित भोजन के उपयोग को शाकाहार कहते हैं।
           एक शाकाहारी मांस नहीं खाता है। मांसाहार में रेड मीट अर्थात पशुओं का मांस, शिकार मांस, मुर्गे-मुर्गियां, मछली, केंकड़ा-झींगा और घोंघा आदि प्राणी शामिल हैं।
          नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक, या अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जाता रहा है। शाकाहारी आहार के भी कुच्छ प्रकार हैं। लैक्टो-शाकाहारी, ओवो-शाकाहारी, ओवो-लैक्टो शाकाहारी, और वेगन। एक लैक्टो-शाकाहारी आहार में दुग्ध के उत्पाद शामिल करता हैं लेकिन अंडे शामिल नहीं करता। एक ओवो-शाकाहारी आहार में अंडे शामिल करता हैं लेकिन गोशाला उत्पाद शामिल नहीं करता। एक ओवो-लैक्टो शाकाहारी के आहार में अंडे और दुग्ध उत्पाद दोनों शामिल हैं। और एक वेगन अर्थात अतिशुद्ध शाकाहारी जिसके आहार में कोई भी प्राणी उत्पाद शामिल नहीं होते। जैसे कि दुग्ध उत्पाद, अंडे, और सामान्यतः शहद। अनेक वेगन प्राणी-व्युत्पन्न किसी अन्य उत्पादों से भी दूर रहां करते हैं, जैसे कि कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन।
          अग्रेजी में शाकाहारी के लिए "वेजिटेरियन" शब्द उपयोग में आता है। ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (OED) और अन्य मानक शब्दकोश कहते हैं। कि "वेजिटेबल" शब्द से यह शब्द बनाया गया है और प्रत्यय के रूप में "-एरियन" जोड़ा गया।
           (लैक्टो) शाकाहार के प्रारंभिक रिकॉर्ड ईसा पूर्व 6ठी शताब्दी में प्राचीन भारत और प्राचीन ग्रीस में पाए जाते हैं। दोनों ही जगहों में आहार प्रमुख रूप से प्राणियों के प्रति नान-वायलेंस यानी अहिंसा के विचार से जुड़ा हुआ है। और धार्मिक समूह तथा दार्शनिक इसे बढ़ावा देते हैं। पश्चिमी दुनिया में, 20वीं सदी के दौरान पोषण, नैतिक, और अभी हाल ही में, पर्यावरण और आर्थिक चिंताओं के परिणाम स्वरुप शाकाहार की लोकप्रियता बढ़ी है।
 • ओवो-लैक्टो-शाकाहार में अंडे, दूध और शहद जैसे प्राणी उत्पाद शामिल हैं।
• लैक्टो शाकाहार में दूध शामिल हैं, लेकिन अंडे नहीं।
• ओवो शाकाहार में अंडे शामिल हैं लेकिन दूध नहीं।
• वेगानिज्म दूध, शहद, अंडे सहित सभी प्रकार के प्राणी मांस तथा प्राणी उत्पादों का वर्जन करता है।
• रौ वेगानिज्म में सिर्फ ताज़ा तथा बिना पकाए फल, बादाम आदि, बीज और सब्जियां शामिल हैं।
• फ्रूटेरियनिज्म पेड़-पौधों को बिना नुकसान पहुंचाए सिर्फ फल, बीज और अन्य इकट्ठा किये जा सकने वाले वनस्पति पदार्थ के सेवन की अनुमति देता है।
 • सु शाकाहार जैसे कि जैन धर्म को मानने वाले सभी प्राणी उत्पादों सहित जमीन के अंदर उगी कंदमूलों और सब्जियों जैसे प्याज, लहसुन, को भी अपने आहार से बाहर रखते हैं।
          आहारविदों का कहना है कि जीवन के सभी चरणों में अच्छी तरह से योजनाबद्ध शाकाहारी आहार ; स्वास्थ्यप्रद, एवं पर्याप्त पोषक रूप है। और कुछ बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए फायदे मंद है। बड़े पैमाने पर हुए अध्ययनों के अनुसार मांसाहारियों की तुलना में ह्रदय के रोग शाकाहारी पुरुषों में 30% कम और शाकाहारी महिलाओं में 20% कम हुआ करते हैं।
          सब्जियों, अनाज, बादाम आदि, सोया दूध, अंडे और डेयरी उत्पादों में शरीर के भरण-पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्व, प्रोटीन, और अमीनो एसिड हुआ करते हैं। शाकाहारी आहार में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और प्राणी प्रोटीन का स्तर कम होता है, और कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फोलेट, और विटामिन सी व ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट तथा फाइटोकेमिकल्स का स्तर उच्चतर होता है। पोषक तत्व: फाइबर आहार, फोलिक एसिड, विटामिन सी और ई, और मैग्नेशियम के ऊंचे स्तर तथा संतृप्त चर्बी के कम उपभोग को शाकाहारी भोजन का लाभकारी पहलू माना जाता है।
          प्रोटीन: शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का सेवन मांसाहारी आहार से केवल जरा-सा ही कम होता है। और व्यक्ति की दैनिक जरूरतों को पूरा कर सकता है। डेयरी उत्पाद और अंडे लैक्टो-ओवो शाकाहारियों को सम्पूर्ण स्रोत उपलब्ध कराते हैं;
          लौह: शाकाहारी खाद्य पदार्थ लौह से भरपूर होते है, इनमें काली सेम, काजू, हेम्पसीड, राजमा, मसूर दाल, जौ का आटा, किशमिश व मुनक्का, लोबिया, सोयाबीन, अनेक नाश्ते में खाये जानेवाला अनाज, सूर्यमुखी के बीज, छोले, टमाटर का जूस, टेमपेह, शीरा, अजवायन और गेहूं के आटे का ब्रेड शामिल हैं।
          विटामिन बी: पौधे आम तौर पर विटामिन बी12 के महत्वपूर्ण स्रोत नहीं होते हैं. हालांकि, लैक्टो-ओवो शाकाहारी डेयरी उत्पादों और अंडों से बी12 प्राप्त कर सकते हैं।
          फैटी एसिड: ओमेगा 3 फैटी एसिड के पौधे-आधारित या शाकाहारी स्रोतों में सोया, अखरोट, कुम्हड़े के बीज, कैनोला तेल (रेपसीड), किवी फल, और विशेषकर हेम्पसीड, चिया सीड, अलसी, इचियम बीज और लोनिया या कुलफा शामिल हैं। किसी भी अन्य ज्ञात सागों की अपेक्षा कुलफा में अधिक ओमेगा 3 हुआ करता है।
          विटामिन डी: शाकाहारियों में विटामिन डी का स्तर कम नहीं होना चाहिए। सूर्य धूप सेवन से विटामिन डी की आवश्यकताएं मानव शरीर के खुद के उत्पादन के जरिये पूरी हो सकती है। दूध सहित सोया दूध और अनाज के दाने जैसे उत्पाद विटामिन डी प्रदान करने के अच्छे दृढीकृत स्रोत हो सकते है जो पर्याप्त धूप का सेवन नहीं करते है। और जिन्हें खाद्य पदार्थों से प्राप्त नहीं होता है, उन्हें विटामिन डी के अनुपूरण की जरूरत पड सकती है।
          आयुर्वेद और सिद्ध जैसी कुछ वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में शाकाहारी भोजन की सलाह देती है। शरीर विज्ञान इंसान सर्वभक्षी होते हैं, मांस और शाकाहारी खाद्य पचाने की मानव क्षमता पर यह आधारित है। तर्क दिया जाता है कि शरीर रचना की दृष्टि से मनुष्य शाकाहारियों के अधिक समान हैं, क्योंकि इनकी लंबी आंत होती है, जो अन्य सर्वभक्षियों और मांसाहारियों में नहीं होती है। पोषण संबंधी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रारंभिक होमिनिड्स ने तीन से चार मिलियन वर्ष पहले भारी जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांस खाने की प्रवृत्ति विकसित की, जब जंगल सूख गये और उनकी जगह खुले घास के मैदानों ने ले लिया, तब शिकार तथा सफाई के अवसर खुल गये।
          हिंदू धर्म हिंदू धर्म के अधिकांश बड़े पंथ शाकाहार को एक आदर्श के रूप में संभाले रखा है। इसके मुख्यतः तीन कारण हैं: पशु-प्राणी के साथ अहिंसा का सिद्धांत; आराध्य देव को केवल "शुद्ध" (शाकाहारी) खाद्य प्रस्तुत करने की नीयत और फिर प्रसाद के रूप में उसे वापस प्राप्त करना; और यह विश्वास कि मांसाहारी भोजन मस्तिष्क तथा आध्यात्मिक विकास के लिए हानिकारक है। हिंदू शाकाहारी आमतौर पर अंडे से परहेज़ करते हैं लेकिन दूध और डेयरी उत्पादों का उपभोग करते हैं, इसलिए वे लैक्टो-शाकाहारी है। हालांकि, अपने संप्रदाय और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार हिंदुओं के खानपान की आदतों में भिन्नता देखि जा सकती है।
          जैन धर्म अधिक धर्मनिष्ठ जैनी कंद-मूल सब्जियां नहीं खाते क्योंकि जमीन में उगे होने के कारण उसमे छोटे जीवजन्तु होते है। कुछ विशेष रूप से समर्पित व्यक्ति फ्रुटेरियन हैं. जैन धर्ममें शहद से परहेज किया जाता है, क्योंकि इसके पाने में को मधुमक्खियों के खिलाफ हिंसा होती है।

Friday 12 December 2014

Angoor





अंगूर एक फल है ,विभिन्न भाषाओं में इसके नाम :
संस्कृत द्राक्षा, अंगूरद्राक्ष,ग्रेप्स
       अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है।  सामान्य परिचय : अंगूर एक आयु बढ़ाने वाला प्रसिद्ध फल है।  यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऎसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। फलों में यहसर्वोत्तम एवं निर्दोष फल है, क्योंकि यह सभी प्रकार की प्रकृति के मनुष्यके लिए अनुकूल है। निरोगी के लिए यह उत्तम पौष्टिक खाद्य है तो रोगी के लिएबलवर्धक भोजन।
           रंग और आकार तथा स्वाद भिन्नता से अंगूरकी कई किस्में होती हैं। काले अंगूर, बैगनी रंग के अंगूर, लम्बे अंगूर, छोटे अंगूर, बीज रहित अंगूर को सुखाकर किशमिश बनाई जाती है। जिन बड़े-बड़े भयंकर और जटिल रोगोंमें किसी प्रकार का कोई पदार्थ जब खाने-पीने को नहीं को दिया जाता तब ऐसीदशा में अंगूर दी जाती है। भोजन के रूप में अंगूर कैन्सर, क्षय (टी.बी.)पायोरिया, ऐपेण्डीसाटिस, बच्चों का सूखा रोग, सन्धिवात, फिट्स, रक्त विकार, आमाशय में घाव, गांठे, उपदंश (सिफलिस), बार-बार मूत्रत्याग, दुर्बलता आदिमें दिया जाता है। अंगूर अकेला खाने पर लाभ करता है, किसी अन्य वस्तु केसाथ मिलाकर इसे नहीं खाना चाहिए।

      
पके अंगूर दस्तावर, शीतल, आंखों के लिए हितकारी, पुष्टिकारक, पाक या रस में मधुर, स्वर को उत्तम करने वाला, कसैला, मल तथा मूत्र कोनिकालने वाला, वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), पौष्टिक, कफकारक औररुचिकारक है। यह प्यास, बुखार, श्वास (दमा), कास (खांसी), वात, वातरक्त (रक्तदोष), कामला (पीलिया), मूत्रकृच्छ्र (पेशाब करने में कठिनाई होना), रक्तपित्त (खूनी पित्त), मोह, दाह (जलन), सूजन तथा डायबिटीज को नष्ट करनेवाला है।
       
अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है। ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिएं।